वैसे तो भारतीय राजनीति इस समय कई प्रकार के परिवर्तनों से गुज़र रही है पर उनमें सबसे मुख्य एवं घातक परिवर्तन राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के बीच कटुतापूर्ण ढंग से एक दूसरे को नीचा दिखाने की प्रवृत्ति है। पहले यह प्रतिद्वंद्विता इतनी कड़वाहट भरी नहीं थी। राजनीतिक विरोधियों द्वारा अपने विचारों पर अटल रहते हुए भी एक दूसरे के विचारों को सम्मान दिया जाता था, जो अब बिरले ही दिखता है। हद तो तब हो जाती है जब कड़वाहट राष्ट्रहित एवं जनहित से भी ऊपर स्थान पा जाती है।
दशहरा बुराई पर अच्छाई और सत्य की विजय का पर्व है। इस बार का दशहरा देशवासियों के लिए इसलिए भी ख़ास है क्योंकि भारतीय सेना ने अपने विश्व विख्यात शौर्य को एक बार फिर से प्रदर्शित किया है। भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा के पार बैठे देश के दुश्मनों को मार गिराया है। इस माहौल में भी देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल की सबसे ताकतवर महिला नेत्री इंदिरा गांधी द्वारा दो छात्र संगठनों केरल स्टूडेंट्स यूनियन और छात्र परिषद को मिलाकर बनाया गया 45 साल पुराना छात्र संगठन NSUI ऐसी विचारहीन कटुता का शिकार हो गया है कि उसने JNU में देश के प्रधानमंत्री का ही पुतला जला दिया। इतनी अधिक कटुता किस लिए? माना कि मोदी सरकार कई मोर्चों पर विफल रही है। उनके चुनावपूर्व फेंके जुमलों को संभालना जब-जब उनके लिए परेशानी बना तब-तब उन्होंने ऐसे मुद्दों को आगे किया जिनपर उनका विरोध ही ना हो सके और हो भी तो विरोध करने वाला देशद्रोही घोषित हो जाये। परंतु ऐसी भी क्या उत्सुकता है विरोध करने की, कि आप पर्वों और त्योहारों पर भी राजनीतिक कड़वाहट नहीं छोड़ पा रहे हैं।
बहरहाल, JNU एक बार फिर से विवादों में घिरा है, जिससे स्वघोषित राष्ट्रवादी मीडिया को स्वगढ़ित राष्ट्रवाद सिद्ध करने का अवसर मिल गया है। पिछली बार से इतर इस बार JNU के VC जगदेश कुमार ने समय रहते घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं।
The effigy burning incident at JNU was brought to our notice. We are investigating the matter and examing all relevant information.
— M. Jagadesh Kumar (@mamidala90) October 12, 2016
हाल ही में हुए JNU छात्रसंघ चुनावों में NSUI के प्रत्याशी रहे सनी दिमान ने कहा है कि ,”यह एक सांकेतिक विरोध था। मोदी जी ने अपने चुनावी वायदे पूरे नहीं किये हैं। NSUI उन सभी लोगों का ऐसे ही विरोध करेगी जो अपने वादे पूरे नहीं करेंगे।” यहाँ यह बता दें कि यह विवाद मीडिया में JNU के NSUI नेता अनिल मीणा द्वारा दशहरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को रावण और बाबा रामदेव, अमित शाह, योगी आदित्यनाथ, आसाराम बापू, ज्ञानदेव आहूजा, आदि को उनके अलग-अलग सिरों के रूप में दिखाये गए पुतले को जलाने और उसका वीडियो सोशल मीडिया पर डालने के बाद आया है।
कहा जा रहा है कि कांग्रेस के तथाकथित आला नेताओं ने इसे गलत बताते हुए इससे पल्ला झाड़ लिया है,ऐसे किसी भी कृत्य की निंदा की है। यहां यह बताना महत्वपूर्ण हो जाता है कि आज से एक साल पहले भी इसी तरह की एक घटना दिल्ली में हुई थी।
कहानी यही थी, किरदार दूसरे!
रावण दस के बजाय मोदी और केजरीवाल के दो सिरों से बना हुआ था। तब मोदी जी को डेढ़ और केजरीवाल को सत्ता में आए मात्र 6 महीने हुए थे। उस वक़्त पुतला जलाने वाले थे देश में सबसे ज्यादा समय तक सत्ता में रही कांग्रेस पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन जी और कांग्रेस के तथाकथित बड़े नेता नेता ही थे। यहाँ यह समझना मुश्किल है कि तब रावण रूप में मोदी और केजरीवाल का पुतला जलाने वाले बड़े नेता थे, या अब इसकी निंदा करने वाले बड़े नेता हैं। यह तो कांग्रेस ही बता सकती है कि इनमें बड़ा कौन है और लोग किसकी बात सुनें।
देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल को अपनी जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए। उसे यह याद रखना चाहिए कि उसका उत्थान जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं को उठाने से होगा ना कि नरेंद्र मोदी और अरविन्द केजरीवाल जैसे स्वनिर्मित नेताओं के पुतले जलाने से। पिछले कुछ चुनावों ने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि जनता मुद्दे पर बात करनेवालों को महत्त्व देती है, ना कि राजनीति में राखी सावंत के रास्ते को अपनाने वालों को। इस घटना से स्पष्ट है कि भारतीय राजनीति अपने ‘चरम-पतन’ की ओर अग्रसर है।
निर्माण करने वाली सकारात्मक सोच ही लोगों के हृदय में स्थान प्राप्त कर सकती है, ना कि विध्वंस करने वाली नकारात्मक सोच!
इस घटना को लेकर ट्विटर पर लोगों की प्रतिक्रिया कुछ ऐसी रही…
विजयादशमी जैसे प्रेरक पर्व पर मोदी,अरविंद या राजनैतिक प्रतिद्वंद्वी का पुतला फूँकने वाले,वास्तव में अपने अंदर के असहमत रावण के वश में हैं
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) October 13, 2016
विरोध/आलोचना और हमले का ये स्वरुप कि मोदी को रावण बनाकर पुतला दहन करें …कहीं सेल्फ गोल न हो जाए pic.twitter.com/NAe29T7loe
— Ajit Anjum (@ajitanjum) October 13, 2016
इस के लिए माफ़ नहीं किया जा सकता। शर्मनाक! #JNU प्रशासन ने क्या कार्यवाही की? इन छात्रों के मातापिता/ JNU के शिक्षको के संस्कार दिख रहे हैं। https://t.co/Oi8l2hCIWc
— Malini Awasthi (@maliniawasthi) October 12, 2016
Unbelievable ..when the whole Nation was burning the effigy of Terrorism,Congress' student wing in JNU was doing this- https://t.co/0UiEfVTBat
— Sambit Patra (@sambitswaraj) October 12, 2016